-- शीत विदा अब हो गया, चली बसन्त बयार। प्यार बाँटने आ गया, होली का त्यौहार।। -- फागुन में अच्छी लगे, रंगों की बौछार। सुन्दर, सुखद-ललाम है, होली का त्यौहार।। -- पाना चाहो मान तो, करो मधुर व्यवहार। सीख सिखाता है हमें, होली का त्यौहार।। -- रंगों के इस पर्व का, यह ही है उपहार। भेद-भाव को मेटता, होली का त्यौहार।। -- तन-मन को निर्मल करे, रंग-बिरंगी धार। लाया नव-उल्लास को, होली का त्यौहार।। -- भंग न डालो रंग में, वृथा न ठानो रार। देता है सन्देश ये, होली का त्यौहार।। -- छोटी-छोटी बात पर, मत करना तकरार। हँसी-ठिठोली से भरा, होली का त्यौहार।। सरस्वती माँ की रहे, सब पर कृपा अपार। -- |
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मंगलवार, 19 मार्च 2024
दोहे "चली बसन्त बयार" (डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक')
सोमवार, 18 मार्च 2024
बालगीत "जीवन-पथ पर बढ़ना सीखो" (डॉ. रूपचन्द्र शास्त्री ‘मयंक’)
-- लिखना सीखो पढ़ना सीखो। जीवन-पथ पर बढ़ना सीखो।। -- गदराई पेड़ों की डाली, बिखरी खेतों में हरियाली, अब आया है समय सुहाना, छोड़ो गाना राग पुराना, नये शब्द भी गढ़ना सीखो। जीवन-पथ पर बढ़ना सीखो।। -- नौका में जब पाँव बढ़ाओ, साहस को पतवार बनाओ, पार करो सागर रतनारे, दूर नहीं मैदान-किनारे, लहरों से तुम लड़ना सीखो। जीवन-पथ पर बढ़ना सीखो।। -- कभी न दु:खों
से घबराना, आँसू को मुस्कान बनाना, सुमन खिले हैं प्यारे-प्यारे, उपवन महक रहे हैं सारे, फूटी ढोलक मढ़ना सीखो। जीवन-पथ पर बढ़ना सीखो।। -- मुँह का वातायन जब खोलो, कटुक-वचन को कभी न बोलो, शाकाहारी भोजन खाओ, बुरी आदतें मत अपनाओ, सच्चाई पर अड़ना सीखो। जीवन-पथ पर बढ़ना सीखो।। -- मात-पिता का आदर करना, दया-धर्म को दिल में भरना, मानव हो दानवता छोड़ो, सम्बन्धों को कभी न तोड़ो, सोपानों को चढ़ना सीखो। जीवन-पथ पर बढ़ना सीखो।। -- |
रविवार, 17 मार्च 2024
बालगीत "खुशियों की सौगात लिए होली आई है" (डॉ. रूपचन्द्र शास्त्री ‘मयंक’)
-- खुशियों की सौगात लिए होली आई है। रंगों की बरसात लिए, होली आई है।। -- रंग-बिरंगी पिचकारी ले, बच्चे होली खेल रहे हैं। मम्मी-पापा दोनों मिल कर, मठरी-गुझिया बेल रहे हैं। पकवानों का थाल लिए, होली आई है। रंगों की बरसात लिए, होली आई है।। -- जाड़ा भागा, गरमी आई, होली यह सन्देशा लाई। कोयल बोल रही बागों में, बाजों ने पाँखे खुजलाई। ठण्डी कुल्फी हाथ लिए, होली आई है। रंगों की बरसात लिए, होली आई है।। -- सरसों फूली, टेसू फूले, आम-नीम बौराये हैं। मक्खी-मच्छर भी होली का, गीत सुनाने आये हैं। साथ चाँदनी रात लिए, होली आई है। रंगों की बरसात लिए, होली आई है।। -- |
शनिवार, 16 मार्च 2024
गीत "आई होली रे!" (डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक')
-- आँचल
में प्यार लेकर, भीनी
फुहार लेकर. आई
होली, आई होली, आई
होली रे! भीनी
फुहार लेकर. मधुरिम मनुहार लेकर, आई
होली, आई होली, आई
होली रे! चटक
रही सेंमल की कलियाँ, चलती
मस्त बयारे। बजते
ढोल नगारे। फूलों
के हार लेकर, -- मीठे
सुर में बोल रही है, बागों
में कोयलिया। कान्हा
की बाँसुरिया। अभिनव
शृंगार लेकर, -- लहराती
खेतों में फसलें, तन-मन
है लहराया. खिलता
फागुन आया, गुझिया
उपहार लेकर, -- |
शुक्रवार, 15 मार्च 2024
दोहे "मस्ती का आभास" (डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक')
-- एक साल के बाद फिर, आया
फागुन मास। तन-मन में होने लगा,
मस्ती का आभास।1। -- दोपहरी में वेग से, चलने
लगी बयार। गाँव-गली बाजार में,
उड़ती गर्द-गुबार।2। -- बाजारों में बिक रहा,
नीला-लाल गुलाल। हुलियारे करने लगे, पीकर
भंग बवाल।3। -- बरसाने में गोपियाँ,
करने लगी धमाल। राधा के संग खेलते, होली
मोहनलाल।4। -- शीतलता को कोप अब, हुआ
देश से दूर। लोग काटने चल पड़े, सरसों और मसूर।5। -- नागफनी हँसने लगी, बौरा
रहा बबूल। सेमल और पलाश पर, खिले
सुहाने फूल।6। -- लाल-लाल दाड़िम हुए,
जैसे हों अंगार। छोटे-छोटे शैल पर, फूल
रही कचनार।7। -- |
गुरुवार, 14 मार्च 2024
गीत "मेरी पोती प्राची का जन्मदिन" (डॉ. रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक')
-- आज
तुम्हारी वर्षगाँठ को, मिल कर
सभी मनायेंगे। जन्मदिवस
पर प्यारी बिटिया को, हम बहुत
सजाएँगे।। -- मम्मी-पापा
हर्षित होकर, लायेंगे
उपहार बहुत, जो तुमको
अच्छे लगते हैं, वस्त्र
वही दिलवायेंगे। -- होली की
पिचकारी होंगीं, रंग
सलोने भी होंगे, गुब्बारे
और खेल-खिलोने, सुन्दर-सुन्दर
लाएँगे।। -- इष्ट-मित्र
और सम्बन्धी भी, देंगे
शुभ-आषीष तुम्हें, इस पावन
वेला पर घर में, यज्ञ-हवन
करवायेंगे। -- दादा-दादी
की बगिया की, तुम ही
तो फुलवारी हो, खुशी-खुशी
प्यारी प्राची को, हँस कर
गले लगायेंगे। -- |
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